Skip to Content

सूक्ष्मीकरण एवं उज्ज्वल भविष्य का अवतरण १

🎯 पुस्तक का उद्देश्य और सारांश

यह पुस्तक एक अद्वितीय आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मनुष्य की सूक्ष्म चेतना—‘सूक्ष्मीकरण’—का विवेचन करती है और उसे उज्ज्वल भविष्य की दिशा में कैसे अग्रसर किया जा सकता है, उसका मार्गदर्शन प्रस्तुत करती है। लेखक बताते हैं कि 20वीं सदी के अंत और 21वीं की शुरुआत ऐसे युगांतर कारी समय थे जब परमपुज्य गुरुदेव ने अपनी सूक्ष्म तप साधना के माध्यम से एक नए युग की नींव रखी ।

पुस्तक में उन अनुभवों, तप, चरित्र-कल्पनाओं और विधियों का विस्तृत वर्णन है, जिन्हें पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने गहन साधनाओं—विशेष रूप से 1984 से 1986 तक चलने वाली तप-चक्र साधना के दौरान—अनुभव किया। इसमें दिखाया गया है कि कैसे मन, आत्मा, पंचकोशी तंत्र और सूक्ष्म जगत के बीच गहरा सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है।

🌟 मुख्य विषय-वस्तु

  1. सूक्ष्मीकरण का प्रेरक अर्थ
    यह प्रक्रिया व्यक्ति की अंतरंग चेतना को जागृत करने और उसकी सूक्ष्म शक्तियों को सक्रिय करने का विज्ञान है। ऐसा करने से व्यक्ति स्वयं में गहरे परिवर्तन का अनुभव कर सकता है।

  2. गुरुदेव की तप साधना
    गुरुदेव ने चैत्र 1984 से बसंत 1986 तक गुरु-शिष्य के चतुर्ष्ट को छोडकर जिस तप साधना का अभ्यास किया, उसमें उनका संकल्प, आहार, अकेलेपन का समय, और लेखन कार्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे awgp.org

  3. पंच कोशी प्रणाली और वीरभद्र जागृति
    यह खंड सूक्ष्मी पंचकोशी—अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आंनंदमय—का वर्णन करता है। इनके माध्यम से व्यक्ति कैसे दिव्य वीरभद्र शक्ति का जागरण कर सकता है, इसका वैज्ञानिक विवेचन मिलता है dbocwwb.delhi.gov.in+12epustakalay.com+12awgp.org+12

  4. चंद्रवर्ती उदाहरण
    श्री अरबिंद घोष, रमन महर्षि, मदम ब्लावात्स्की जैसे महापुरुषों द्वारा सूक्ष्म जगत में योगदान की कहानियाँ इस खंड में शामिल हैं ताकि यह दर्शाया जा सके कि साधक की साधना विश्व स्तर पर प्रभावशाली होती है dbocwwb.delhi.gov.in+7epustakalay.com+7archive.org+7

  5. युग-परिवर्तन और साधना
    यह पुस्तक मानती है कि सूक्ष्मीकरण केवल आत्म-सिद्धि नहीं, बल्कि युग-परिवर्तन का साधन है—जिसमें साधक स्वयं को समाज-हित के लिए समर्पित करता है और युग की आवश्यकता को पूरा करता है epustakalay.com+1awgp.org+1

🌱 पाठक को मिलने वाले लाभ

  • आत्मिक जागृति और तपस्वी संकल्प: नियमित साधना से अंतर्मन की शांति, ऊर्जा और निर्देश शक्ति विकसित होती है।

  • सूक्ष्मी शक्तियों का सक्रिय अनुभव: पंचकोशी और वीरभद्र जागृति द्वारा सूक्ष्म जगत तथा स्वयं-ज्ञान का गहरा अनुभव होता है।

  • मानसिक और भावनात्मक संतुलन: संकल्प, लेखन, एकांत तप और मानसिक विस्मरण से चरित्र-गुण और मानसिक दृढ़ता विकसित होती है।

  • युग-निर्माण में योगदान: यदि साधक अपनी दिशा का उपयोग सही सामाजिक और जागरुक प्रयासों में लगाए, तो यह युग परिवर्तन का आधार बन सकता है।

  • वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक समन्वय: आध्यात्मिक अनुभवों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने की क्षमता विकसित होती है।

👤 यह पुस्तक किनके लिए उपयुक्त है?

  • आध्यात्मिक साधक और गूढ़ चिंतक, जो चेतना के सूक्ष्म स्तर पर गहराई से काम करना चाहते हैं।

  • योगदर्शी, तपस्वी और ध्यान साधक, जो साधना को केवल अनुशासन नहीं मान सकते, बल्कि उससे परिवर्तन चाहते हैं।

  • गुरु-शिष्य मार्ग के इच्छुक, जो परमपुज्य श्रीराम शर्मा आचार्य की तप-परंपरा में स्वयं को जोड़ना चाहते हैं।

  • युग-निर्माणकर्ता, जो मानवीय चेतना के स्तर को उठाने, सकारात्मक सोच फैलाने और समाज में प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के मार्ग तलाश रहे हैं।

संक्षिप्त निष्कर्ष

“सूक्ष्मीकरण एवं उज्जवल भविष्य का अवतरण – भाग 1” केवल एक किताब नहीं, बल्कि एक ध्यान एवं साधना-प athshala है। यह ग्रंथ आपको स्वयं के अंतरतम तप, सूक्ष्म जगत अर्थ, आत्म-बल और युग-निर्माण की दिशा में प्रेरित करता है।

यदि आपकी चाह—

  • चेतना का विस्तृत अनुभव,

  • सूक्ष्म-शक्ति की जागृति,

  • चरित्र निर्माण के साथ युग चेतना,
    तो यह पुस्तक आपके आध्यात्मिक एवं व्यक्तिगत विकास के मार्ग का अमूल्य साथी बन कर उभरेगी। इसे अपनी साधना और जीवन में शामिल करें और अपने भीतर के दिव्य संकल्प को उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर करें।

📚 यदि आप सचेत साधना में गहराई, व्यावहारिक अनुभव, और युग निर्माण की दिशा में आत्मक्षमता विकसित करना चाहते हैं—तो यह पुस्तक आपके जीवन का मार्गदर्शक साथी होगी।

₹ 150.00 ₹ 150.00 Tax Included
₹ 150.00 Tax Included

Not Available For Sale

(₹ 0.00 / Units)
  • ब्रांड
  • लेखक

This combination does not exist.

ब्रांड: युग निर्माण योजना ट्रस्ट
लेखक : पं श्रीराम शर्मा आचार्य

 शर्तें और नियम

प्रेषण: २ से ५ व्यावसायिक दिवस