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प्रसुप्ति से जागृति की ओर

🎯 पुस्तक का उद्देश्य एवं सारांश

“प्रसुप्ति से जागृति की ओर” एक प्रेरक ग्रंथ है जो बताता है कि जीवन का सामान्य और निश्चल रूप—प्रसुप्ति—से कैसे हम जागृत, सचेत और गहराईपूर्ण चेतना की ओर बढ़ सकते हैं। लेखक पं॰ श्रीराम शर्मा आचार्य ने इस पुस्तक में मानव मनोविज्ञान, साधना और जीवन की ऊँचाइयों पर पहुंचने की प्रक्रिया को बड़े ही स्पष्ट और सरल भाषा में बयां किया है।

उनके अनुसार, अधिकांश जीवन अनभिज्ञ चेते में व्यतीत होता है—विचार, आदतें, कर्म और संवेदनाएँ नींद सी होती हैं। यह पुस्तक ऐसे त्रिसंकल्प-युक्त मार्गों का विवरण देती है, जिनसे स्‍वयं को जानकर, जाग्रत करके और चेतन होकर जीवन को सशक्त बनाया जा सकता है।

🌟 मुख्य विषय-वस्तु और विचार

  • प्रसुप्ति (अनजागरूकता) की समस्याएँ
    यह अध्याय हमें दिखाता है कि जब जीवन निष्क्रियता, आलस्य, अवचेतन प्रतिक्रियाओं और आत्मग्लानि में फँसा होता है, तब व्यक्ति अपने उद्देश्यों से विपथित हो जाता है।

  • जागृति की प्रकृति
    जागृति केवल जागने का नाम नहीं, बल्कि मानवीय चेतना का सशक्त अनुभव है। यह आत्म-विश्लेषण, स्पष्ट सोच, संकल्प-शक्ति और सेवा-भाव से संभव होती है।

  • साधना और जीवन-व्यवहार में समन्वय
    कविता, प्रार्थना, मंत्र जाप, योग या ध्यान—यह साधनात्मक मार्ग तभी जागरुकता को सशक्त रूप देते हैं, यदि इन्हें दैनिक व्यवहार में लागू किया जाए; तभी हम “चारित्र जागृति” की ओर बढ़ते हैं।

  • व्यक्तित्व विकास
    आत्म-जागृति के साथ क्षमताए उजागर होती हैं—यह सुनिश्चित है कि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से व्यक्ति सुदृढ़, सक्षम और प्रेरक बनता है।

  • समाज और राष्ट्र निर्माण
    लेखक स्पष्ट करते हैं कि जब व्यक्ति अपनी जागृति द्वारा जिम्मेदार बनता है, तब वह परिवार, समाज और राष्ट्र के उत्थान का आधार बनता है। एक-जाग्रत जीवन से सामाजिक चेतना और सहयोग की भावना उत्पन्न होती है।

🌱 पढ़ने से क्या लाभ होगा?

  • मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता
    विचारों की विशुद्धता, निर्णयों में दृढ़ता, और सामर्थ्य की अनुभूति होगी।

  • आत्मिक जागृति और साधना
    ध्यान, साधना और स्व-अवलोकन से आध्यात्मिक और व्यवहारिक जीवन में संतुलन आएगा।

  • सकारात्मक जीवन दृष्टिकोण
    कर्म, सेवा, संयम और समर्पण की भावना से जीवन में नई ऊर्जा आएगी।

  • समाजोपयोगी योगदान
    जब व्यक्ति अपनी क्षमता पहचानेगा तो परिवार और समाज में सार्थक भूमिका निभा सकेगा।

👤 यह पुस्तक किनके लिए उपयोगी है?

  • वो युवा और विद्यार्थी, जो स्व-अवलोकन, आत्म-विश्लेषण और सक्रिय जीवन चाहते हैं।

  • साधक और चिंतक जिन्हें साधनाओं में गहनता और जीवन में प्रयोग चाहिए।

  • शिक्षक और प्रेरक वक्ता जो व्यक्तित्व जागृति पर कार्य करना चाहते हैं।

  • परिवार और समाजसेवी, जो व्यक्ति-समाज के सतत विकास की दिशा में कार्यरत हैं।

📚 “प्रसुप्ति से जागृति की ओर” एक ऐसी प्रेरक यात्रा है जो व्यक्ति को नींद से जागने से लेकर पूरा, संतुलित और जिम्मेदार जीवन जीने की दिशा में ले जाती है। यदि आप अपने अंदर के सचेत रहने को जीवन का मूल माध्यम बनाना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए एक सशक्त साथी सिद्ध होगी।

₹ 150.00 ₹ 150.00 (Tax included)
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लेखक : पं श्रीराम शर्मा आचार्य
भाषा : Hindi