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साधना से सिद्धि भाग-2

🎯 पुस्तक का उद्देश्य और सारांश

“साधना से सिद्धि – भाग 2” वह चेतना है जो पहला भाग छोड़ कर आगे बढ़ती है, ताकि आत्मा को सिद्धि की दिशा में अग्रसर करे। जहां पहला भाग साधना के तत्त्वों और मन-भावना‌ को साधने पर केंद्रित था, वहीं इसमें उन साहसिक चुनौतीपूर्ण प्रसंगों, चरित्र अन्तर्दृष्टियों और सिद्धि आधारित अनुभवों को स्थान दिया गया है। इस भाग का लक्ष्य केवल साधना तक सीमित नहीं रहना, बल्कि साधना से सिद्धि की राह को पार करना है—चाहे जीवन कैसे भी हालात लेकर आए।

🌟 मुख्य विषय-वस्तु और प्रेरक विचार

1. संकल्प और धैर्य की परीक्षा

इस भाग में ऐसे दृष्टान्त शामिल हैं जिनमें साधकों पर लंबे समय तक प्रतिकूल परिस्थितियाँ भी छाई रही। फिर भी उन्होंने संयम और दृढ़ संकल्प से आत्मबल (आत्मबल) के माध्यम से उन्हें पार किया और आत्म-साक्षात्कार की ऊँचाइयों को छुआ।

2. अंतर्मन की स्वच्छता और विमोचन

लेखक स्पष्ट करते हैं कि जब मन की गन्दगी—संकोच, आत्म-आलोचना, भूत के असर—साफ़ होती है, तब मन के मार्ग से चेतना स्वतः ऊँचास्वरूप हो जाती है। इसमें ग्रहण करने और विमोचन के वास्तविक अनुभव को भी शामिल किया गया है।

3. सिद्धि-युक्त साधना विधियाँ

इस खंड में मनोबल, जागृति और चेतना के लिये कुछ विशेष साधन जैसे मंत्र-चर्या, ध्यान-राग, और सेवा-भाव को पहले भाग की तुलना में अधिक वैज्ञानिक और केंद्रित तरीकों से समझाया गया है।

4. जीवन में सिद्धि के संकेत

कैसे साधना कष्टकारी जीवन में छुपा ऊर्जा का संस्करण बनती है; यह पुस्तक अलग-अलग अनुभवों के माध्यम से सिद्ध करती है कि स्वयं पर विश्वास व आत्म-ज्ञान साधक को तेजस्विता की दिशा में ले जाते हैं।

5. चरित्र और सेवा

इस खंड में यह बताया गया है कि केवल साधना से सिद्धि नहीं, बल्कि चरित्र की निर्मलता और सामाजिक-सेवा के द्वारा सिद्धि ठोस और स्थायी होती है। सेवा यानी कर्म और साधना का सम्मिलन जीवन को ऊँचा उठाता है।

🌱 पाठ से मिलने वाले लाभ

  • आत्मिक मौन और ध्यान की गहराई
    निरंतर साधना के माध्यम से अंतर्मन शुद्ध एवं स्पष्ट होता है, जिससे समाधि-आधारित गहन अनुभूति होती है।

  • मानसिक-शारीरिक क्षमता का सशक्तीकरण
    आसान नहीं लेकिन प्रभावी साधना के बाद शारीरिक ऊर्जा, मनोबल और मानसिक स्थिरता मिलती है।

  • संकल्प-शक्ति और आदर्श चरित्र निर्माण
    कठिन परिस्थितियों में निर्णय लिया जा सकता है, स्व-नियंत्रण बना रहता है और चरित्र निखरता है।

  • परिवार-समाज में सेवा-भाव जागृति
    आत्म-स सिद्धि के बाद दृष्टि सेवा और समाज-हित की ओर अग्रसर होती है, जिससे व्यक्तिगत कार्यक्षमता का दायरा बढ़ता है।

  • नेतृत्व और उनके लिए मार्गदर्शन
    साधना से सिद्धि-प्राप्ति ने नेतृत्व को भी संतुलन और मूल्य-समर्थन दिया है, जो यथार्थ और नैतिक नेतृत्व की नींव बन सकता है।

👤 यह पुस्तक किनके लिए है?

  • वे साधक, जो साधना के पहले भाग से प्रारंभ करके अगली सतह—सिद्धि—को प्राप्त करना चाहते हैं

  • ध्यान, योग या ध्यान साधना में निर्बाध गहराई तक जाना चाहने वाले

  • गुरु-शिष्य परंपरा में प्रतिभागी, जो आत्म-ज्ञान और आत्मशिखर की यात्रा चाहते हैं

  • आत्मनिर्भर, आत्मसमर्पित, और आत्मसिद्धि की दिशा में इच्छुक संस्कारी युवक एवं युवा वर्ग

  • समाजसेवी, प्रेरक वक्ता, कोच या शिक्षक, जो आचरण, नेतृत्व एवं चरित्र निर्माण में रचनात्मक भूमिका निभाना चाहते हैं

संक्षिप्त विचार

“साधना से सिद्धि – भाग 2” साधना के उस अंतिम चरण को संक्षिप्त और सन्तुलित ढंग से प्रस्तुत करता है जहाँ व्यक्ति कर्म-साधना, चरित्र-निर्माण और ज्ञान-साक्षात्कार के माध्यम से सप्तचक्र सिद्धि की दिशा में कदम बढ़ाता है। यहāda_ml सभी क्षेत्रों—आध्यात्मिक, मानसिक, सामाजिक, और पारिवारिक—में संतुलित परिवर्तन एवं उन्नति की दिशा में प्रेरित करता है।

📚 यदि आपकी चाह केवल साधना तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन की गहरी ऊँचाई—सिद्धि—को आत्मसात करना है, तो “साधना से सिद्धि – भाग 2” आपके आत्म-संवर्धन, संस्कार-विकास और नेतृत्व-ज्ञान के मार्ग का वरदान बनेगी। इसे अपनी आध्यात्मिक यात्रा का अगला अध्याय बनाएं और सिद्धि से सार्थक बनाएं।

₹ 150.00 ₹ 150.00 Tax Excluded
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ब्रांड: युग निर्माण योजना ट्रस्ट
लेखक : पं श्रीराम शर्मा आचार्य
भाषा : Hindi

 शर्तें और नियम

प्रेषण: २ से ५ व्यावसायिक दिवस