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Samajik, Naiti, Baudhik Kranti Kaise? (How about social, moral and intellectual revolution?)

🎯 पुस्तक का उद्देश्य और सारांश

यह पुस्तक हमारे समाज में बुनियादी क्रांति लाने की राह दिखाती है—जिसमें सिर्फ व्यवस्थित बदलाव नहीं, बल्कि चरित्र, संस्कृति और चेतना का पूर्ण रूप से बदलना शामिल है। लेखक का प्रस्ताव है कि परिवर्तन तब ही स्थायी और सार्थक होगा जब यह तीन स्तरों पर समान रूप से हो:

  1. सामाजिक: न्याय, समानता, सहभागिता

  2. नैतिक: ईमानदारी, अनुशासन, सार्वभौमिक सहयोग

  3. बौद्धिक: तर्कशीलता, विज्ञान-चेतना, वैचारिक स्वतंत्रता

एक मजबूत एवं समरस समाज वही होगा जिसमें इन तीनों यंत्रों में समन्वय हो।

🌟 मुख्य विषय-वस्तु और विचार

1. समाज निर्माण की नई रूपरेखा

पुस्तक दर्शाती है कि कैसे परिवार, विद्यालय, पंचायत या शहर—हर समाज-कड़ी को नवीन विचार और सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। जब तक समाज इन मूल्यों से लैस नहीं होगा, तब तक सतत विकास केवल दिखाई देने वाला भ्रम ही रहेगा।

2. नैतिक पुनर्निर्माण

इस खंड में बताया गया है कि यदि व्यक्तिगत स्तर पर चरित्र, सेवा, संयम, सत्यनिष्ठा और स्वचिंतन नहीं होगा, तो व्यक्तिगत उन्नति अनुदूर कल्पना मात्र रहेगी। व्यक्ति के नैतिक स्तर पर विकसित होने से ही समाजोन्मुखी चेतना पनपती है।

3. बौद्धिक चेतना का उच्च स्तर

यह पुस्तक बौद्धिक स्वतंत्रता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को जीवन का अविभाज्य अंग मानती है। यह कहीं अंधविश्वास में नहीं उलझा, बल्कि अनुभव-आधारित अध्ययन और जांच की भावना को बढ़ावा देती है।

4. विचार-क्रांति के व्यवहारिक आयाम

केवल घोषणाएँ नहीं, बल्कि छोटे–छोटे व्यवहार—जैसे स्वयंसेवी कार्य, सामाजिक जागरूकता अभियान, नैतिक शिक्षा कार्यक्रम—इसके उदाहरण हैं। इससे जनता स्तर पर सामाजिक चेतना पनपती है।

5. मानव-संस्कृति में समन्वय

लेखक बताते हैं कि हम धर्म, जाति, भाषा, वर्ग से ऊपर उठकर मानव-बंधुत्व के सिद्धांत को आत्मसात करें। तभी वैश्विक स्तर पर सहयोग और विकास संभव होगा।

🌱 पाठ से मिलने वाले लाभ

  • समाज में व्यक्तिगत योगदान
    समाज को बदलने का मार्ग केवल शासन या व्यवस्था से नहीं, बल्कि व्यक्ति से शुरू होता है। इस पुस्तक द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है कि आपके छोटे–छोटे निर्णय भी बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।

  • आत्म-नियंत्रण एवं आत्म-संस्कार
    नैतिक और बौद्धिक चेतना में वृद्धि से व्यक्तिगत स्तर पर चरित्र, नियंत्रण और निर्णय क्षमता मजबूत होती है।

  • वैचारिक स्वतंत्रता
    अंधविश्वास व धारणाओं में फंसे बन्धन को तोड़कर अनुभव-आधारित, वैज्ञानिक दृष्टि प्राप्त होती है। इससे हर क्षेत्र में विकास होता है।

  • समुदाय-सशक्तिकरण
    जब विचारों से प्रेरित लोग एक साथ कदम बढ़ाते हैं, तब समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, न्याय सभी क्षेत्रों में संतुलन और उन्नति संभव होती है।

👥 यह पुस्तक किनके लिए?

  • युवा, छात्र, शिक्षक, समाजसेवी—जो वास्तव में समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं।

  • अभिभावक व परिवारवर्ग—जो नैतिकता व बौद्धिक चेतना को बच्चों तक पहुँचाना चाहते हैं।

  • नेता, प्रेरक वक्ता और संगठनकर्ता—जो सक्रिय विचार-क्रांति और मानव संस्कृति का निर्माण करना चाहते हैं।

  • चिंतक व कार्यकर्त्ता—जो क्रियान्वयन से बदलते सरोकार लेकर समाज को मजबूत बनाना चाहते हैं।

संक्षिप्त निष्कर्ष

“सामाजिक, नैतिक, बौद्धिक क्रांति कैसे?” एक जीवन परिवर्तक अवधारणा है, जो बताती है कि यदि व्यक्ति चरित्रवान, सशक्त विचारक और समाज-संवेदनशील हो, तभी राष्ट्र निर्माण संभव है। इसमें न केवल प्रेरणा है, बल्कि व्यवहारिक अनुशासन, प्रेरक दृष्टांत और कार्रवाई की रणनीति है।

📚 यदि आपकी चाह है—नियमित व्यक्तिगत विकास, समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाना, तो यह पुस्तक आपके लिए एक अनमोल साथी साबित होगी। इसे अपनी नीति, परिवार या संगठन के दृढ़ आध्यात्म, नैतिकता और चेतना आंदोलन में शामिल करें, और भविष्य की क्रांति का पाया बनें।

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Brand: Yug Nirman Yojna Trust
Author: Pandit Sriram Sharma Acharya
Language: Hindi


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