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Shiksha Ewam Vidya

🎯 पुस्तक का उद्देश्य एवं सारांश

“शिक्षा एवं विद्य” केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं, बल्कि अंतर्मन की सजगता, व्यक्तित्व का विकास और सामाजिक उत्तरदायित्व का पाठ भी सिखाती है। पं॰ श्रीराम शर्मा आाचार्य इस ग्रंथ में शिक्षा को केवल नौकरी या करियर साधन मानने की बजाय, इसे एक आत्मिक और वैचारिक साधन के रूप में प्रस्तुत करते हैं। उनका मानना है कि शिक्षा तभी सार्थक होती है जब वह व्यक्ति के चरित्र, विवेक और समाज-सेवा को मजबूत करे।

पुस्तक में बताया गया है कि शिक्षा का असली अर्थ सिर्फ ग्रंथज्ञान नहीं, बल्कि आत्म-प्रशिक्षण, स्वाध्याय, आत्म-विश्लेषण और सेवा का एक समग्र रूप है, जिसे यदि अपनाया जाए, तो व्यक्ति केवल विद्वान नहीं, बल्कि जीवन-नेता बन सकता है।

🌟 उल्लेखनीय विषय-वस्तु

  1. शिक्षा का विस्तृत स्वरूप
    शिक्षा सिर्फ विद्यालयीन ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन शैली, संस्कार, विचार-चेतना का गठन करती है। इसे ज्ञान, अभ्यास, चरित्र और सम्मान की संज्ञा दी गयी है।

  2. स्वाध्याय और आत्मविश्लेषण
    स्वयं को जानने की प्रक्रिया—जिसमें व्यक्ति अपने विचार, भावनाएं और कर्मों को आत्म-अवलोकित करता है—इसे सफल शिक्षा का मूल आधार बताते हैं।

  3. चरित्र शिक्षण
    लेखक विश्वास, सत्य, निष्ठा, संयम जैसे गुणों को विकास का आधार मानते हैं। इन गुणों से व्यक्ति की व्यवहार-शक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी बढ़ती है।

  4. शिक्षा एवं सामाजिक सेवा
    शिक्षा यदि केवल व्यक्तिगत तौर पर उपयोगी रहे, तो उसका मूल्य सीमित है। पं॰ शर्मा का मानना है कि शिक्षा का लक्ष्य होता है सेवा और समाज-सुधार

  5. वैज्ञानिक दृष्टिकोण
    शिक्षा को आध्यात्मिक सिद्धांतों से जोड़ते हुए भी लेखक इसे वैज्ञानिक विश्लेषण और प्रयोग से पूर्ण रूप से जोड़ते हैं, जिससे शिक्षा अनुभवजन्य और प्रयोगोन्मुख बनती है।

  6. नेतृत्व निर्माण
    शिक्षा के अंतर्गत नेतृत्व क्षमता, सामूहिक दृष्टि और निर्णय-शक्ति को महत्व दिया गया है ताकि व्यक्ति समाज या संगठन को आगे ले जाने में सक्षम बने।

🌱 पाठक को मिलने वाले लाभ

  • आत्मिक स्पष्टता: ज्ञान के साथ साथ जीवन दृष्टि और उद्देश्य स्पष्ट होता है।

  • चरित्र-संस्कार: गुणों के विकास से आत्म-विश्वास मजबूत होता है।

  • स्व-अवलोकन और प्रगति: आत्मविश्लेषण से सुधार की सुविधा मिलती है।

  • समाज-सेवा की तैयारी: शिक्षा से मात्र करियर ही नहीं, बल्कि सेवा का जीवन निर्माण होता है।

  • नेतृत्व-गुणों का विकास: निर्णय क्षमता, सामूहिक कार्यशक्ति और नैतिक नेतृत्व क्षमता आती है।

👤 पुस्तक किनके लिए उपयुक्त है?

  • युवा एवं विद्यार्थी, जो शिक्षा को केवल स्कूल/कॉलेज की पढ़ाई से ऊपर उठाकर एक जीवन-दर्शन बनाना चाहते हैं।

  • शिक्षक, कोच, ट्रेनर, जो अपने सीखने वालों में आत्मनिर्देश एवं जीवन क्षमता विकसित करना चाहते हैं।

  • समाजसेवी, संगठनकर्ता, जो शिक्षा का उपयोग मानव सेवा और समाजोत्थान में करना चाहते हैं।

  • प्रेरक वक्ता, गुरु, जो शिक्षा के माध्यम से नेतृत्व और चरित्र निर्माण को स्थापित करना चाहते हैं।

  • आध्यात्मिक और वैचारिक चिंतक, जो आंतरिक शांति और सकारात्मक जीवनUILD करना चाहते हैं।

संक्षिप्त विचार

“शिक्षा एवं विद्य” एक जीवन-पथदर्शिका है जो शिक्षा को जीवंत, चरित्र-संस्कारी और समाज-सेवा की भूमिका में परिवर्तित करती है। यह पुस्तक विचार-क्रांति को मार्गदर्शन करती है कि शिक्षा जिज्ञासा, स्वाध्याय, सेवा और नेतृत्व की दिशा में अग्रसर हो, तो व्यक्ति और समाज दोनों समृद्ध होते हैं।

📚 यदि आप शिक्षा को केवल जानकारी तक सीमित न रखकर—उसमें चरित्र, चिंतन, स्व-विश्लेषण और सेवा की गहराई लाना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए एक प्रभावशाली और मूल्यवान साथी साबित होगी। इसे आज ही अपने जीवन-विमर्श व उदात्त लक्ष्य की ओर ले जाएँ!

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Brand: Yug Nirman Yojna Trust
Author: Pandit Sriram Sharma Acharya
Language: Hindi


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