Skip to Content

Ytra Naryastu Pujyante, Rmante Tatra Dewata

🎯 पुस्तक का उद्देश्य एवं सारांश

यह ग्रंथ वैदिक दृष्टिकोण के उस सार्वभौमिक संदेश पर केंद्रित है जिसे "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः" नामक प्राचीन श्लोक अपने में समाहित करता है। इसका अर्थ सरल है: “जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता रमते हैं; जहाँ उसका अपमान होता है, वहाँ सारे कार्य निष्फल ही रह जाते हैं।” लेखक पं॰ श्रीराम शर्मा आचार्य ने इस विषय को गहराई से समझने एवं आधुनिक परिप्रेक्ष्य में उपयोगी बनाकर प्रस्तुत किया है।

🌟 मुख्य विषय-वस्तु

1. श्लोक की वैदिक महत्ता

प्रथम अध्याय में इस श्लोक की उत्पत्ति, संदर्भ (मनुस्मृति) और सामाजिक-आध्यात्मिक महत्व समझाया गया है। यह श्लोक भारतीय संस्कृति में नारी के गौरव, गरिमा और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।

2. नारी सम्मान और सामाजिक समृद्धि

लेखक स्पष्ट करते हैं कि नारी सम्मान न केवल पारिवारिक सद्भाव बनाए रखता है, बल्कि समाज का नैतिक एवं आर्थिक उत्थान भी सुनिश्चित करता है। इसका प्रभाव परिवार से लेकर राष्ट्र तक महसूस किया जा सकता है।

3. गुणवत्तापूर्ण पारिवारिक जीवन हेतु नारी पूजन

दूसरे भाग में विवाह, माता-पिता, और नवविवाहितों के सम्बन्धों में नारी सम्मान के असर को बताया गया है। यह नैतिक स्कोरबोर्ड नहीं, बल्कि जीवन में सामूहिक आनंद और स्थायित्व का मार्ग है।

4. आधुनिक युग में वैदिक संदेश

आधुनिक परिदृश्य—जैसे कामकाजी महिलाएं, शिक्षा, राजनीति, घरेलू आंदोलन—का वैदिक प्रकाश में निरीक्षण दर्शाया गया है। लेखक सुझाव देते हैं कि नारी सम्मान ही वास्तविक लिंग-समानता है, न कि ट्रेंड या धर्म-संघर्ष।

5. श्लोक का उपयोगात्मक रूप

पुस्तक Practicaltas में श्लोक को सार्वजनिक कार्यक्रमों, विद्यालयों, संगठनों और घर-परिवार में लागू करने के सुझाव देती है—जहाँ “नारी सम्मान” के आदर्श अभिव्यक्त हों।

🌱 पाठक को मिलने वाले लाभ

  • सर्वांगीण सामाजिक शांति
    पारिवारिक, शैक्षिक और पेशेवर क्षत्रों में समरसता और सम्मान बढ़ता है।

  • नारी सशक्तिकरण की ठोस नींव
    सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि वास्तविक गरिमा एवं आत्मसम्मान की स्थिति स्थापित होती है।

  • नैतिक विकास व आध्यात्मिक चेतना
    नारी पूजन के माध्यम से व्यक्ति के चरित्र एवं आत्म-चेतना में ऊँचाई आती है। 

  • कार्य-क्षेत्र की उत्पादकता एवं सफलता
    जब कार्यस्थलों में लैंगिक सम्मान की संस्कृति होती है, वहां आनंद एवं सफलता मिलती है—शाश्वत स्वरूप में।

  • परिवारिक शांति और संतुष्टि
    घर में पुरुष–महिला दोनों ही पूजित व सम्मानित महसूस कर सकेंगे, परिवार सामाजिक इकाई के रूप में मजबूत बनेगा।

👤 पुस्तक उपयुक्त है:

  • परिवार-प्रबंधक, जो गृहस्थ जीवन को सकारात्मक, सशक्त और आदर्श-आधारित बनाना चाहते हैं।

  • शिक्षक, छात्र एवं संगठनों के सदस्य, जो लैंगिक समानता के सामाजिक आयामों को समझना चाहते हैं।

  • समाजसेवी, प्रेरक वक्ता और महिला-नेता, जो अपने कार्यों में नारी सशक्तिकरण से प्रेरणा लेना चाहते हैं।

  • आध्यात्मिक चिंतक, जो वैदिक ज्ञान को आधुनिक उपयोगी तरीके से व्यक्त करना चाहते हैं।

संक्षिप्त निष्कर्ष

“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः” एक वैदिक मूल मंत्र है, हालाँकि यह केवल सावधानियों का श्लोक नहीं, बल्कि “मूल्य-आधारित जीवन जीने” का निवेदन है। यह ग्रंथ वैदिक ज्ञान को आधुनिक समस्याओं के समाधान के रूप में प्रस्तुत करता है—वृद्धि, आदर, शांति और सफलता के संदर्भ में।

📚 यदि आप चाहते हैं एक ऐसा समाज जहां नारी सम्मान पाकर सम्मानित, घर–परिवार–समाज–नियंत्रण सभी क्षेत्रों में यशस्वी हो, तो यह पुस्तक आपके ई‑कॉमर्स संग्रह की प्रथम पंक्ति सजाने लायक है। इसे अपने प्लेटफ़ॉर्म पर अवश्य शामिल करें और सांस्कृतिक जागृति की दिशा में संदेश फैलाएं!

₹ 125.00 ₹ 125.00 Tax Excluded
₹ 125.00 Tax Excluded

Not Available For Sale

(₹ 0.00 / Units)
  • Brand
  • Author
  • Language

This combination does not exist.

Brand: Yug Nirman Yojna Trust
Author: Pandit Sriram Sharma Acharya
Language: Hindi


Terms and Conditions 

Shipping: 2 to 5 business days