Yug Pariwartan Kaise Aur Kab ? (How and when will the era change?)
🎯 पुस्तक का उद्देश्य और सारांश
यह ग्रंथ “युग‑परिवर्तन”—यानी एक युग से अगले युग की ओर लोक चेतना का सामूहिक बदलाव—को समझने और उसे पूर्वानुमान करने वाली एक दृष्टि–मार्गदर्शिका है। पं॰ श्रीराम शर्मा आचार्य ने इसमें बताया है कि कलियुग से सत्य युग की यात्रा कैसे संभव है और वह कब लगभग आरंभ हो चुकी है। वे कहते हैं कि 1980–2005 के बीच युग‑संक्रांति समय चल रही है—जहां सूक्ष्म रूप से एक नए युग की नींव रखी गई है ।
🌟 मुख्य विषय-वस्तु
1. अंतर्राष्ट्रीय और धार्मिक संकेत
इसमें विभिन्न धर्म, पुराण, उपनिषद और आधुनिक वैज्ञानिक विशेषज्ञों द्वारा बताये युग‑परिवर्तन के प्रमाण दर्शाए गए हैं: जैसे पर्यावरणीय असंतुलन, आध्यात्मिक जागृति और विज्ञान‑टेक्नोलॉजी के मेल से एक नवीन युग की झलक। इन सबका विश्लेषण समय‑केंद्रित दृष्टि से किया गया है ।
2. समय‑गणना और युगारोहण
लेखक ने पारंपरिक काल गणना जैसे विक्रमी संवत्, युगाग्रह आदि को आधार बनाकर यह स्पष्टता दी है कि संवत् 2000 (लगभग 1944 A.D.) के बाद युग‑संक्रांति प्रारंभ हो चुकी है; इसे ‘संहार युग’ से ‘उदय युग’ तक की यात्रा कहा गया है ।
3. लक्षण और चेतना‑उत्थान
आज की दुनिया में जो टेक्नोलॉजी, परिवर्तन, जन–स्वास्थ्य, शिक्षा और मानवता‑उन्नति दिखाई दे रही है, वे युग‑प्रबोधन के संकेत हैं। जैसे कि वैश्विक संवाद, नारी‑सशक्तिकरण, वैज्ञानिक अध्यात्म—ये सब “युग‑धरातल का रचना‑तत्व” बताते हैं ।
4. व्यक्तिगत और सामाजिक अभियान
यह ग्रंथ हमें बताता है कि युग‑केवल त्योहार या राह दिखाने वाली घटना नहीं, बल्कि व्यक्तिगत जीवन के युग‑उपयोग, परिवार व समाज में रोज़ अभियान करने से बनता है।
5. विचार‑क्रांति का संदेश
लेखक कहते हैं — “हम बदलेंगे, युग बदलेगा।” यदि हम व्यक्तिगत, नैतिक, वैज्ञानिक दृष्टि से जागते हैं, तो युग‑परिवर्तन सुनिश्चित है ।
🌱 पाठक को मिलने वाले लाभ
आध्यात्मिक चेतना और आशा — यह पुस्तक बताती है कि सिर्फ अंधकार ही नहीं, बल्कि उजाले की शुरुआत भी हो चुकी है।
समय‑जनित जागृति की समझ — आपको ज्ञात होगा कि आप किस युग‑संक्रांति में जी रहे हैं।
आत्मिक और नैतिक गुण — परिवर्तन की शक्ति तभी आती है जब व्यक्ति का चरित्र, दृष्टि और स्वाभाव उत्प्रेरित हो।
सामूहिक बदलाव की प्रेरणा — यह युग‑निर्माण व्यक्तिगत प्रयोग से शुरू होकर संगठन और राष्ट्र‑स्थिति में फैलाता है।
वैदिक‑वैज्ञानिक संवाद — इसमें समय‑विज्ञान, धर्मग्रंथ, आधुनिक शोध और जैविक चेतना का संतुलन मिलता है।
👥 यह पुस्तक किनके लिए उपयुक्त है?
युवा, चिंतक, नेता – जो अपने विचार और जीवन को युग‑संक्रांति के साथ जोड़ना चाहते हैं।
समाजसेवी, प्रेरक वक्ता – जो युग‑भावना को समूहों में जीवन‑दर्शन बनाना चाहते हैं।
आध्यात्मिक जागरण स्थल और संस्थान – जो युग‑निर्माण के आदर्श को व्यवहार में उतारना चाहते हैं।
परिवार एवं शिक्षक – जो नए समय के मानदंडों को घर और पढ़ाई‑शिक्षा में अपनाना चाहते हैं।
✅ संक्षिप्त निष्कर्ष
“युग‑परिवर्तन कैसे और कब?” केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक युग‑दृष्टा की चेतना है जो कहती है:
“यदि हम अपने विचारों, संवेदनाओं और कार्यों में परिवर्तन लाएँ—तो युग भी बदलेगा, और मानवता के रास्ते भी।”
📚 यदि आप अपने व्यक्तिगत जीवन, परिवार और समाज को एक नए युग की यात्रा में उतारना चाहते हैं—तो यह पुस्तक आपकी युग‑संक्रांति की सशक्त मार्गदर्शिका बन सकती है। अपने प्लेटफ़ॉर्म पर इसे जरूर शामिल करें और युग के इस प्रकाश को साझा करें।
Brand: Yug Nirman Yojna Trust |
Author: Pandit Sriram Sharma Acharya |
Language: Hindi |