Vedant Darshan
वेदान्त दर्शन - एक परिचय
क्या आप भारतीय दर्शन की गहराइयों में उतरकर आत्मा, ब्रह्म और जगत के गूढ़ रहस्यों को समझना चाहते हैं?
क्या आप वेदान्त दर्शन के मूल सिद्धांतों, उसकी विभिन्न शाखाओं और व्यावहारिक उपयोगिता के बारे में जानने के इच्छुक हैं?
तो यह पुस्तक, "वेदान्त दर्शन", आपके लिए एक उत्कृष्ट प्रवेश द्वार साबित हो सकती है। यह पुस्तक वेदान्त दर्शन के सार को सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत करती है, जिससे पाठक इस प्राचीन ज्ञान परंपरा को आसानी से समझ सकें।
इस पुस्तक में आपको क्या मिलेगा?
यह पुस्तक वेदान्त दर्शन के विभिन्न पहलुओं को समेटे हुए है, जिसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित विषय शामिल हैं:
वेदान्त का अर्थ और महत्व: वेदान्त शब्द की उत्पत्ति, इसका शाब्दिक अर्थ और भारतीय दर्शन में इसका अद्वितीय स्थान।
वेदान्त के मूल स्रोत: उपनिषद, ब्रह्मसूत्र और भगवद्गीता – इन तीनों प्रस्थानत्रयी का परिचय और वेदान्त के आधार के रूप में उनका महत्व।
अद्वैत वेदान्त: शंकराचार्य के अद्वैत वेदान्त के मुख्य सिद्धांत – ब्रह्म की एकता, जगत की मिथ्यात्वता और आत्मा की ब्रह्मरूपता का विस्तृत विवेचन। माया, अविद्या और उनके स्वरूप की व्याख्या।
विशिष्टाद्वैत वेदान्त: रामानुजाचार्य के विशिष्टाद्वैत वेदान्त के प्रमुख विचार – ब्रह्म और जीव के बीच विशिष्ट संबंध, ईश्वर की सर्वव्यापकता और भक्ति का महत्व।
द्वैत वेदान्त: मध्वाचार्य के द्वैत वेदान्त के मौलिक सिद्धांत – ब्रह्म और जीव के बीच शाश्वत भेद, ईश्वर की स्वतंत्रता और भक्ति के मार्ग की प्रधानता।
अन्य वेदान्त शाखाएँ: निम्बार्काचार्य का द्वैताद्वैत, वल्लभाचार्य का शुद्धाद्वैत और अन्य महत्वपूर्ण वेदान्त परंपराओं का संक्षिप्त परिचय।
आत्मा का स्वरूप: वेदान्त के अनुसार जीवात्मा की प्रकृति, उसके बंधन और मोक्ष की अवधारणा।
ब्रह्म का स्वरूप: परम सत्य या ब्रह्म के विभिन्न स्वरूपों और विशेषताओं का वर्णन।
जगत की उत्पत्ति और प्रकृति: वेदान्त के विभि
Brand: Yug Nirman Yojna Trust |
Author: Pandit Sriram Sharma Acharya |