Mimansadarshan
मीमांसा दर्शन
क्या आप भारतीय दर्शन की गहराईयों में उतरना चाहते हैं?
क्या आप वैदिक कर्मकांड और उसके दार्शनिक आधार को समझना चाहते हैं?
तो यह पुस्तक, "मीमांसा दर्शन - खंड 1", आपके लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार सिद्ध हो सकती है। यह पुस्तक भारतीय दर्शन के छह प्रमुख आस्तिक संप्रदायों में से एक, मीमांसा दर्शन के मूलभूत सिद्धांतों और अवधारणाओं को सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत करती है।
मीमांसा दर्शन, जिसे पूर्व मीमांसा या कर्म मीमांसा के रूप में भी जाना जाता है, मुख्य रूप से वेदों के कर्मकांडीय भाग (मंत्र और ब्राह्मण ग्रंथ) की व्याख्या और प्रमाणिकता पर केंद्रित है। इसका मुख्य उद्देश्य वैदिक आज्ञाओं की व्याख्या करना और यह स्थापित करना है कि वे शाश्वत और स्वतः प्रमाण हैं।
इस पुस्तक के खंड में आपको क्या मिलेगा?
यह खंड मीमांसा दर्शन की नींव रखता है और निम्नलिखित महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डालता है:
दर्शन का परिचय: भारतीय दर्शन परंपरा में मीमांसा दर्शन का स्थान और महत्व। अन्य दार्शनिक प्रणालियों के साथ इसका संबंध।
वेद और उनकी प्रमाणिकता: वेदों को स्वतः प्रमाण मानना और उनकी अपौरुषेयता (किसी पुरुष द्वारा रचित न होना) का विस्तृत विवेचन। वेदों के विभिन्न भागों (मंत्र, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद) का परिचय।
धर्म की अवधारणा: मीमांसा दर्शन में 'धर्म' का अर्थ और उसकी प्रकृति। धर्म को वैदिक आज्ञाओं के रूप में समझना और उसका पालन करने का महत्व।
अपौरुषेयत्व का सिद्धांत: वेदों की नित्यता और अविनाशिता को तार्किक युक्तियों से सिद्ध करना। शब्द और अर्थ के नित्य संबंध का विवेचन।
विधि और निषेध: वैदिक आज्ञाओं के स्वरूप का विश्लेषण, जिसमें क्या करना चाहिए (विधि) और क्या नहीं करना चाहिए (निषेध) शामिल हैं।
अधिकार और फल: कर्मों को करने का अधिकारी कौन है और कर्मों के फल किस प्रकार प्राप्त होते हैं, इस विषय पर मीमांसा दृष्टिकोण।
प्रमाण मीमांसा का परिचय: ज्ञान के विभिन्न स्रोतों (प्रमाणों) पर मीमांसा दर्शन के विचार। प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, अर्थापत्ति और अनुपलब्धि जैसे प्रमाणों की मीमांसा अवधारणा। (हालांकि इस खंड में मुख्य जोर शब्द प्रमाण यानी वेद पर होगा)।
प्रमुख मीमांसा आचार्यों का संक्षिप्त परिचय: जैमिनी, शबरस्वामी और कुमारिल भट्ट जैसे प्रमुख मीमांसा विचारकों और उनके योगदान का संक्षिप्त उल्लेख।
यह पुस्तक किसके लिए है?
यह पुस्तक उन सभी जिज्ञासु पाठकों के लिए उपयोगी है जो:
भारतीय दर्शन के मूल सिद्धांतों को समझना चाहते हैं।
वैदिक साहित्य और उसकी व्याख्या में रुचि रखते हैं।
मीमांसा दर्शन के आधारभूत विचारों से परिचित होना चाहते हैं।
धर्म और कर्मकांड के दार्शनिक आधार को जानना चाहते हैं।
दर्शनशास्त्र के विद्यार्थी और शोधकर्ता हैं।
इस पुस्तक की विशेषताएं:
विषयों का सरल और स्पष्ट प्रस्तुतिकरण।
जटिल दार्शनिक अवधारणाओं की सुगम व्याख्या।
मीमांसा दर्शन के मूलभूत सिद्धांतों का विस्तृत परिचय।
भारतीय दर्शन की समग्र समझ विकसित करने में सहायक।
"मीमांसा दर्शन -" आपको भारतीय ज्ञान परंपरा के एक महत्वपूर्ण स्तंभ से परिचित कराएगा। यह आपको वेदों के कर्मकांडीय भाग के गहरे अर्थ और उसके दार्शनिक महत्व को समझने में मदद करेगा। यदि आप भारतीय दर्शन की यात्रा शुरू कर रहे हैं या अपनी समझ को और अधिक समृद्ध करना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए एक उत्कृष्ट शुरुआती बिंदु है।
अपनी आध्यात्मिक और दार्शनिक जिज्ञासा को शांत करने के लिए आज ही इस पुस्तक को प्राप्त करें!
Brand: Yug Nirman Yojna Trust |
Author: Pandit Sriram Sharma Acharya |