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राष्ट्र समर्थ और सशक्त कैसे बने ?

🎯 पुस्तक का उद्देश्य एवं सामग्रियों का सारांश

यह पुस्तक राष्ट्र निर्माण के उस पथ को स्पष्ट और व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत करती है, जिसकी आवश्यकता आज के युग में अत्यंत महसूस की जाती है। लेखक इस ग्रंथ के माध्यम से निर्देशित करते हैं कि कैसे एक व्यक्ति, परिवार और समाज—तीनों मिलकर राष्ट्रीय शक्तियाँ गढ़ सकते हैं। लेखक का मत है कि राष्ट्र की शक्ति केवल आर्थिक, सैन्य या राजनैतिक नहीं होती, बल्कि यह उस मानसिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक ऊर्जा से निर्मित होती है जो प्रत्येक नागरिक के भीतर जागृत हो।

यह ग्रंथ बताता है कि राष्ट्र तभी समर्थ बन सकता है जब उसके नागरिक जागरूक हों, चरित्रवान हों, सेवा-पथ पर हों, और तर्क, विवेक तथा संतुलन के साथ जीवन जीते हों। कार्य-रणनीति—विचार-क्रांति, युवा जागृति, परिवार की शक्ति, समाज-संघठन—इन सभी के माध्यम से एक समन्वित राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है।

🌟 मुख्य विषय-वस्तु एवं प्रेरक विचार

  • नागरिकता की नागरिक चेतना
    यह भाग राष्ट्रनिर्माण के लिए व्यक्ति को जिम्मेदार बनाता है—चाहे वह मतदान हो, स्वच्छता हो या राष्ट्रीय संस्कृति का संकल्प। यह चेतना व्यक्ति से असंतोष को हटाकर जागरूक और सकारात्मक नियंत्रण लाती है।

  • नये नेतृत्व और विचार-क्रांति
    केवल पदों पर बैठे हुए नहीं, हर व्यक्ति नेताओं का नेतृत्व सिद्ध करता है जब वह सत्य, सेवा, संयम और निष्ठा से कार्य करता है। पंडित आचार्य का सुझाव है कि छोटे-छोटे निर्णय और लीड, राष्ट्र की रीढ़ तैयार करते हैं।

  • परिवार की शक्ति एवं संस्कार
    छोटे परिवार से बड़े समाज तक—उसमें नैतिक शिक्षा, संस्कार, वार्तालाप और आदर्श-विषयों का होना अत्यावश्यक है। परिवार के साथ ही राष्ट्र के चरित्र का विकास होता है।

  • युवा और राष्ट्र का भविष्य
    युवा शक्ति सिर्फ उत्साह नहीं होती, बल्कि चेतना भी जरूरत है। यह पुस्तक युवा जागृति की दिशा निर्देशित करती है—अध्ययन, सेवा, रोजगार, नेतृत्व और सामाजिक प्रभुत्व से।

  • सशक्त संस्कृति और विज्ञान का संतुलन
    लेखक स्पष्ट करते हैं कि विकास केवल तकनीकी या भौतिक हो, ऐसा संभव नहीं। संस्कृति की गहराई और आत्मिक शक्ति तभी सशक्त होगी जब वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नैतिकता जुड़ी होगी।

  • समाज-संगठन और एकजुटता
    इस ग्रंथ में बताया गया है कि अगर समाज विभिन्न वर्गों, विचारों और संस्कृतियों में निखरी एकता बनाए रखेगा, तभी राष्ट्र में न्याय, सहिष्णुता और प्रगति बनी रहेगी। सामूहिक संगठन राष्ट्र को मजबूत नीति और राज्य शक्ति बनाता है।

🌱 पढ़ने से मिलने वाले लाभ

  • राष्ट्रीय चेतना और जिम्मेदारी
    इस पुस्तक से पाठक को देश के प्रति कर्तव्यशीलता और आत्म-संवेदना की अनुभूति होती है।

  • नेतृत्व क्षमता में वृद्धि
    इसे पढ़कर व्यक्ति सिर्फ पदानुक्रम में ही नहीं, बल्कि नैतिक नेतृत्व में भी आसानी से कदम रख सकता है।

  • सामाजिक जागृति एवं समर्थन
    युवा, किसान, शिक्षक, गृहिणी—हर वर्ग को अपनी भूमिका समझने और उसे निभाने की प्रेरणा मिलती है।

  • व्यक्तित्व और चरित्र निर्माण
    नैतिक विचार, व्यक्तित्व-सम्बध, और उदारता जैसे गुणों से ठोस और स्थायी व्यक्तित्व बनता है।

  • खुले भाव से वैज्ञानिक व आध्यात्मिक दृष्टिकोण
    जब व्यक्ति विज्ञान एवं संस्कृति दोनों को भागवान् दृष्टि से अपनाता है, तभी प्रगति सुदृढ़ और स्थायी बनती है।

👥 यह पुस्तक किनके लिए उपयुक्त है?

  • सामाजिक नेता और कार्यकर्ता

  • युवा वर्ग जो राष्ट्र-निर्माण, स्वरोजगार व सामाजिक नेतृत्व की ओर अग्रसर हैं

  • शिक्षक और प्रशिक्षक, जो शिक्षा के साथ राष्ट्र-चेतना सिखाना चाहते हैं

  • परिवारप्रबंधक और माता-पिता, जो घर से समाज तक नैतिक दृष्टिकोण प्रसारित करना चाहते हैं

  • चिंतक और समाजसेवी, जो विचार-क्रांति के माध्यम से राष्ट्र चेतना का निर्माण करना चाहते हैं

📚 “राष्ट्र समर्थ और सशक्त कैसे बने” एक ऐसी पुस्तक है जो विचार–चेतना से लेकर सेवा–भवना तक, नेतृत्व–क्षमता तक और आत्मिक–मानव मूल्य तक पूरे राष्ट्र की आत्मा को जागृत करता है। यदि आप राष्ट्र के मजबूत और गौरवान्वित भविष्य में सहभागी बनना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए एक सशक्त मार्गदर्शक सिद्ध होगी। इसे आज ही अपने संग्रह में शामिल करें और राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान की शक्ति को आत्मसात करें।

₹ 150.00 ₹ 150.00 Tax Excluded
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ब्रांड: युग निर्माण योजना ट्रस्ट
लेखक : पं श्रीराम शर्मा आचार्य
भाषा : Hindi

 शर्तें और नियम

प्रेषण: २ से ५ व्यावसायिक दिवस