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विवाहोन्माद : समस्या और समाधान

🎯 पुस्तक का उद्देश्य और सारांश

“विवाहोन्माद – समस्या और समाधान” एक महत्वपूर्ण समाज-विश्लेषणात्मक पुस्तक है, जो बताती है कि समृद्धि की आड़ में वर्षों से चली आ रही भारतीय विवाह व्यवस्था कैसे एक विकृति—विवाहोत्सव के मद में उन्माद—का रूप ले चुकी है। पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य इसे केवल व्यक्तिगत घटना नहीं, बल्कि समाजिक अभिशाप मानते हैं, जो नारी, परिवार और समाज को गहरी चोट पहुँचाता है ।

इस पुस्तक में विवाह को केवल दो आत्माओं का पवित्र बंधन कहा गया है, लेकिन आज के समय में यह बंधन कैसे आंगन खर्च, दहेज, दिखावा और अहंकार की बंदिश में बदल गया है, इसका यथार्थ रूप सामने आता है ।

🌟 मुख्य विषय-वस्तु और विचार

1. विवाह को अनर्थ का रूप देने वाले कारण

पुस्तक में बताया गया है कि कैसे आज के समाज में विवाह प्रतियोगिता और प्रतिष्ठा का माध्यम बन गया है। लोग दिखावे के लिए घर रातोंरात दोगुने महंगे बनाते हैं, फालतू आयोजन करते हैं और इससे गरीब पक्ष की सामर्थ्य मिट जाती है ।

2. कन्यादान की त्रासद परिस्थिति

वधू-पक्ष पर अभूतपूर्व आर्थिक बोझ पड़ता है। लड़के पक्ष की बढ़ती मांगों के सामने कंगूरेवाले मजबूर हो जाते हैं, जिससे नारी, परिवार और अगली पीढ़ी—सब ही हानि में हैं ।

3. लड़के और लड़की—दोनों पक्षों की असमर्थता

यह पुस्तक स्पष्ट करती है कि लड़के के पास यदि आर्थिक साधन न हों तो कन्या-भूमिका कमजोर हो जाती है, और कन्या-परिवार वित्तीय स्तर पर दिवालिया हो सकता है—जिससे समाज में निर्भरता की स्थिति आती है ।

4. सादगीपूर्ण, आदर्श विवाह की भूमिका

लेखक ने वैदिक परंपरा के अनुसार संदर्भ विवाह को उत्प्रेरित किया—जहां सामूहिक रूप से, संकल्पनात्मक सादगी से, खर्च को कम करते हुए विवाह सम्पन्न किया जाए। इससे न केवल आर्थिक भार घटता है, बल्कि प्रेम-सम्मान बढ़ता है ।

5. आन्दोलन की रूपरेखा

पुस्तक में यह भी वर्णित है कि सांस्कृतिक संगठनों, मीडिया और सामाजिक संस्थाओं को इस आंदोलन को समर्थन देना चाहिए। प्रसार, प्रतिज्ञा-पत्र, नव-विवाह कार्यक्रम—इनका उपयोग गरिमामय नया दृष्टिकोण स्थापित करने में किया जाए ।

🌱 पाठक को क्या लाभ होंगे

  • आर्थिक राहत व मानसिक शांति
    शादी का खर्च नियन्त्रित होगा तो परिवार राहत अनुभव करेगा।

  • नारी-सम्मान और पारदर्शिता
    कन्या-परिवार को स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता मिलेगी।

  • सामाजिक समरसता
    जब विवाह खर्च की दौड़ से मुक्त होगा, तो भेदभाव व वर्ग-धारणायें भी कमजोर होंगी।

  • आधिक ज्ञान और जागृति
    मीडिया और नेतृत्व के सहयोग से पारिवारिक निर्णय-जागरूकता का अनुभव होगा।

  • युवा पीढ़ी का सशक्त भविष्य
    बची धनराशि शिक्षा, स्वास्थ्य, बचत में प्रयोग हो सकती है—जिससे परिवार और राष्ट्र, दोनों को लाभ मिलेगा।

👥 यह पुस्तक किनके लिए तैयार की गई है?

  • युवा एवं विवाहित जोड़े, जो विवाह की वास्तविक गरिमा और सादगी चाहते हैं।

  • पिता–माता और परिवार, जो अपने बच्चों की शादी को सरल, आर्थिक व संवेदनशील बनाना चाहते हैं।

  • समाजसेवी, शिक्षक, प्रेरक वक्ता, जो सामाजिक कुरीतियों—जैसे दिखावापूर्ण विवाह—के निराकरण में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं।

  • धार्मिक संस्थाएं, जो वेद-पुराण सिद्धांतों से प्रेरित होकर वैदिक सादगी को पुनर्जीवित करना चाहती हैं।

संक्षिप्त निष्कर्ष

विवाहोन्माद – समस्या और समाधान” एक समाज-चिंतनक पुस्तक है जिसका उद्देश्य केवल जागृत करना नहीं, बल्कि उदाहरण और कार्य रूपरेखा प्रदान करना है। यह पुस्तक बताती है कि जब विवाह उपभोक्ता नहीं, बल्कि उपासक व्यवहार बनेगा, तो केवल परिवार नहीं, बल्कि पूरा समाज—पूर्ण रूप से स्वस्थ, सशक्त और संवेदनशील बनेगा।

📚 यदि आप चाहते हैं कि विवाह केवल रस्म—not दिखावा—रहे, और इससे न सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक भावनाएं भी ऊँची उठें, तो यह पुस्तक आपके लिए एक सशक्त प्रेरणा और मार्गदर्शक होगी। इसे जोड़ें और विवाहोन्माद के खिलाफ वैदिक, सार्थक आंदोलन का हिस्सा बनें!

₹ 150.00 ₹ 150.00 Tax Excluded
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ब्रांड: युग निर्माण योजना ट्रस्ट
लेखक : पं श्रीराम शर्मा आचार्य
भाषा : Hindi

 शर्तें और नियम

प्रेषण: २ से ५ व्यावसायिक दिवस