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उपासना-समर्पण योग

🎯 पुस्तक का उद्देश्य एवं सारांश

उपासना‑समर्पण योग” मनुष्य और आत्मिक चेतना के मध्य एक गहरा संगम स्थापित करती है। यह ग्रंथ_UPasana_ (भक्ति-साधना) और समर्पण (पूर्वदत्त भाव) के माध्यम से आध्यात्मिक जागृति, चरित्र निर्मित और जीवन से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का मार्ग प्रस्तुत करता है। लेखक बताते हैं कि साधना तब गहराई से सफल होती है जब व्यक्ति अपना आचार, संकल्प और मन एकाग्रता से ईश्वर या आदर्श ऊर्जा के समर्पण में लगा दे।

🌟 मुख्य विषय-वस्तु

1. उपासना का मूल स्वरूप

उपासना केवल पूजा-प्रार्थना नहीं, बल्कि मन की पूर्ण एकाग्रता, भावना की पवित्रता और कर्म की निष्ठा होती है। पुस्तक में बताया गया है कि उपासना तब पूर्ण होती है जब व्यक्ति अपने मनोभावों और संकल्पों को समर्पित करता है।

2. समर्पण की साधना

समर्पण भाव केवल श्रद्धा का नाम नहीं, बल्कि व्यक्तित्व का निष्कर्म भाव, तर्क का संयम और आतंरिक संतोष होता है। लेखक इसे “मनुष्य का सर्वोच्च सामर्थ्य” कहते हैं, जो चरित्र में स्थिरता, आचरण में सामर्थ्य और चेतना में शुद्धता लाता है।

3. उपासना – समर्पण के साधन

अध्यायों में व्याकरण-जनित सरल योग पद्धतियाँ जैसे ध्यान, मंत्र या सेवा प्रथाएँ दी गईं हैं जिन्हें समर्पण की भावना से प्रणालीबद्ध रूप में अभ्यास करने पर साधना सशक्त होती है।

4. चरित्र निर्मित एवं निर्णय शक्ति

समर्पण योग व्यक्ति को आत्मिक बल, आत्मसंयम और निर्णय-शक्ति प्रदान करता है। जीवन की चुनौतियों में व्यक्ति अपने लक्ष्य, विचार और चेतना को कण–कण तक प्रभाशाली रूप से प्रयोग में ला सकता है।

5. व्यवहार एवं सामर्थ्य

यह पुस्तक केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि व्यवहारिक और सामाजिक रूप से भी उपयोगी है। इसमें बताया गया है कि जब उपासना समर्पण से जुड़ जाती है तो व्यक्ति सिर्फ स्वयं श्रेष्ठ नहीं, बल्कि परिवार, समाज और राष्ट्र के निर्माण में एक प्रेरक शक्ति बनता है।

🌱 पाठक को मिलने वाले लाभ

  • भक्ति व समर्पण से जीवन में ऊर्जा और प्रेरणा
    साधना-भाव में गहराई आने पर व्यक्ति को स्थिरता, आशा और सकारात्मक सोच मिलती है।

  • चरित्र और आत्मबल में वृद्धि
    संकल्प, संयम और स्वत्व-बोध के साथ व्यक्तित्व मजबूत होता है।

  • तन-मन-आत्मा का संतुलन
    उपासना में चेतना की शुद्धि और समर्पण से मानसिक व शारीरिक संतुलन प्राप्त होता है।

  • सामाजिक और नैतिक नेतृत्व
    आत्म-समर्पण योग से आत्म-विश्वास और नैतिक दृष्टिकोण के साथ समाज में कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।

  • आध्यात्मिक–वैचारिक स्पष्टता
    आध्यात्मिक सूक्ष्म अनुभव—जैसे चेतना-मनन और निर्णय-क्षमता—in स्वरूप स्थायी रूप से विकसित होती है।

👤 पुस्तक उपयुक्त किनके लिए?

  • युवा, साधक और चिंतक, जो उपासना और समर्पण के गहन मार्गदर्शन की तलाश में हैं

  • योग गुरू, ध्यान-प्रशिक्षक, आचार्य, जो आत्म-चेतना और चरित्र पर आधारित शिक्षा देना चाहते हैं

  • नेता, समाज-सेवी, प्रेरक वक्ता, जो नैतिक-आध्यात्मिक दृष्टिकोण से नेतृत्व करना चाहते हैं

  • परिवार-प्रबंधक, जो घर से ही उपासना, सेवा और चरित्र संवर्धन की दिशा में प्रेरित करना चाहते हैं

संक्षिप्त निष्कर्ष

उपासना‑समर्पण योग” एक प्रभावशाली ग्रंथ है, जिसमें भक्ति की गहराई और समर्पण की चिरस्थायी ऊर्जा का संयोजन जीवन को सार्थक और शक्तिशाली बनाता है। यह सिर्फ एक पुस्तक नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण, आत्मचेतना और समाज-निर्माण की शक्ति का अनुभव है।

📚 यदि आप उपासना को केवल अनुष्ठान नहीं मानते, बल्कि चरित्र, सेवा और जीवन के हर पहलू में समर्पण-योग से परिवर्तन चाहते हैं — तो यह पुस्तक आपके लिए एक आदर्श साथी सिद्ध होगी। इसे अपने संग्रह में शामिल करें और अपने जीवन को समर्पण की दिव्यता से आलोकित करें।

₹ 150.00 ₹ 150.00 Tax Excluded
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ब्रांड: युग निर्माण योजना ट्रस्ट
लेखक : पं श्रीराम शर्मा आचार्य
भाषा : Hindi

 शर्तें और नियम

प्रेषण: २ से ५ व्यावसायिक दिवस