Skip to Content

Pratigamita Ka Kuchakra Aise Tutega (This is how the vicious circle of retrogression will be broken)

🎯 पुस्तक का उद्देश्य और सारांश

“प्रतिगमता का चक्र ऐसे टूटेगा” जीवन के उस अवचेतन प्रवाह को तोड़ने का संदेश देती है, जिसमें व्यक्ति लगातार पर्वाह, आदत, दोष और विकृतियों में उलझा रहता है। यहाँ ‘प्रतिगमता’ का अर्थ है—हमारे भीतर की अँधेरी परतों में संचित नाम मात्र के अचरज, व्यवस्था के विरुद्ध स्वाभाव और प्रत्याशित प्रतिक्रियाएँ। यह पुस्तक बताती है कि इन बंधनों को कैसे पहचानें, कैसे उन्हें तोड़ें, और कैसे व्यक्ति खुद को आज़ाद, जागृत और सशक्त बना सकता है।

🌟 मुख्य विषय-वस्तु और विचार

  • प्रतिगमता की पहचान
    जैसे–आलस, असंयम, आक्रोश, निर्भरता, भय, चिंता—ये सभी आपके अंदर के आवर्त चक्र हैं, जो आपकी उन्नति में बाधा उत्पन्न करते हैं।

  • मन की चतुष्टय शक्ति
    इसे पुस्तक में चार कदमों में समझाया गया है—जागरूकता, स्वीकार्यता, परिवर्तन और सतत अभ्यास। जब तक व्यक्ति अपनी आदतों और विचारों पर नहीं चलता, तब तक अवचेतन बाकी रहता है।

  • आत्मिक चेतना और जागृति
    लेखक बताते हैं कि जब आप जीवन के अनुभवों को शून्य-बिंदु से शुरू करके देखते हैं, और वहाँ से ऊर्जा संचित करते हैं, तब मन की परतें हटती हैं, आत्म-बोध का प्रकाश फैलता है।

  • व्यावहारिक साधना विधियाँ
    इसकी मार्गदर्शिका में ध्यान, आत्मालोचन, सिद्धान्त-आचरण, सेवा और सकारात्मक संवाद जैसे साधन समाहित हैं, जिन्हें जीवन में दैनिक रूप से लागू कर प्रभावकारी परिवर्तन किया जा सकता है।

  • उदाहरणों से प्रेरणा
    ग्रंथ में उपदेश नहीं—बल्कि जीवन से संबंधित घटनाओं, सफल एकलोगों, संघर्षों और चरित्रों के माध्यम से प्रतिगमता-बाधाओं को तोड़ने का स्पष्ट रास्ता दिखाया गया है।

🌱 पढ़ने से मिलने वाले लाभ

  • चिंतन-विचार में स्पष्टता
    आपके विचार, आदतें और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं में स्वचालित आदतों से स्वच्छता होगी।

  • नैतिक चरित्र गढ़ना
    अनुशासन, संयम, स्पष्टता और आत्म-संस्कार जैसी गुणों का निर्माण होगा।

  • व्यावहारिक सक्रियता
    आलस, भय और चिंता जैसे मनोबाधाओं की जगह साहस व सृजनात्मक्ता ग्रहण होगी।

  • समय के साथ स्थायी सुधार
    जीवन में सिर्फ बदलाव ही नहीं, बल्कि दीर्घकालिक प्रगति होगी—परिवर्तन के साथ संलग्नता होगी।

  • समाज-सेवा हेतु प्रेरणा
    जब व्यक्ति स्वयं की प्रतिगमता से मुक्त होता है, तब वह समाज को भी इस दिशा में प्रेरित कर सकता है।

👤 पुस्तक उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो—

  • अपने व्यक्तित्वाधिक, आध्यात्मिक और मानसिक विकास की दिशा में काम करना चाहते हैं।

  • संकल्पबद्धता, चरित्र निर्माण, आत्म-अवलोकन और नियत अभ्यास में रुचि रखते हैं।

  • जीवन में स्थायी सकारात्मक बदलाव चाहते हैं और आत्म-सशक्त बनना चाहते हैं।

  • युवा, शिक्षक, कोच, समाजसेवी, गुरू—जो दूसरों में परिवर्तन की प्रेरणा जगाना चाहते हैं।

📚 “प्रतिगमता का चक्र ऐसे टूटेगा” एक स्पष्ट, सारगर्भित और जीवनोपयोगी पुस्तक है—जो हमारे भीतर की बंदिशों को तोड़ने, आत्मा को जागृत करने और चरित्र को प्रबल बनाने की यात्रा का मार्गदर्शन करती है। यदि आप अपनी जिंदगी में स्थायी परिवर्तन, मानसिक स्वतंत्रता और आत्म-जागरुकता चाहते हैं—तो यह पुस्तक आपके लिए एक सशक्त साधन होगी।

₹ 150.00 ₹ 150.00 Tax Excluded
₹ 150.00 Tax Excluded

Not Available For Sale

(₹ 0.00 / Units)
  • Brand
  • Author
  • Language

This combination does not exist.

Brand: Yug Nirman Yojna Trust
Author: Pandit Sriram Sharma Acharya
Language: Hindi


Terms and Conditions 

Shipping: 2 to 5 business days