Yagya Ka Gyan-Vigyan (Knowledge and Science of Yajna)
🎯 पुस्तक का उद्देश्य और सारांश
“यज्ञ का ज्ञान-विज्ञान” यज्ञ को केवल धार्मिक कर्म नहीं मानता, बल्कि इसे विश्व-संतुलन, मानसिक चक्रों और चरित्र निर्माण का एक वैज्ञानिक और व्यवस्थित विज्ञान मानता है। पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने विद्वानों, ऋषियों और वैज्ञानिकों के संकेतों का समन्वय करते हुए यह स्पष्ट किया है कि यज्ञ एक समग्र पुरुषार्थ, आशय मात्र कर्म-योग न होकर, आत्म-निर्माण एवं सामाजिक चेतना की प्रक्रिया है ।
🌟 मुख्य विषय-वस्तु
✅ 1. यज्ञ का सार्वभौमिक आदर्श
यज्ञ को संसार की रचना का आधार—“भुवन की नाभि”—माना गया है। यह केवल अग्निदेव की आराधना नहीं, बल्कि जीव, जंतु, वन और प्रकृति को साथ लेकर चलने वाला विवेकपूर्ण कर्म है ।
✅ 2. यज्ञीय जीवन—एक पूर्ण जीवनशैली
पुस्तक में बताया गया है कि जब हम अपने विचार, कर्म और चरित्र को यज्ञ-भाव से संयोजित करें, तब यह जीवन-जीवन की श्रेष्ठ पद्धति बन जाती है—“यज्ञीय जीवन” ।
✅ 3. यज्ञ का विज्ञान और सामाजिक भूमिका
यह ग्रंथ यज्ञ को एक ‘देवी-शक्ति टैक्स’ के रूप में दिखाता है—जिसे न दिए जाने पर जैसे प्राकृतिक तथा सामाजिक संतुलन बिगड़ जाता है, उसी प्रकार यज्ञ से ऊर्जा, स्वास्थ्य और युग-गुणों की श्रृंखला बनी रहती है ।
✅ 4. वैदिक-वैज्ञानिक प्रमाण
शास्त्र, पुराण, गीता और उपनिषदों से लेकर आधुनिक विज्ञान तक यज्ञ की महत्ता को प्रमाणित करते हुए, लेखक ने इसका वैचारिक, मानसिक और पर्यावरणीय तत्त्व उद्घाटित किया है ।
✅ 5. यज्ञोपाध्याय व कार्य यंत्र
ग्रंथ में विस्तृत रूप से अध्याय हैं—जैसे यज्ञोपचार, ब्रह्मयज्ञ, अग्निहोत्र, मोक्षार्थ यज्ञ—और उनकी कार्य-विधि एवं चिकित्सीय लाभ का वर्णन भी है।
🌱 पाठक को मिलने वाले लाभ
आध्यात्म-चेतना से आत्म-जागृति
यज्ञ-भाव से किए गए कर्म मानसिक शांति, आत्म-निर्माण और सकारात्मक ऊर्जा देते हैं।मानव और पर्यावरण का संतुलन
आग में आहुतियाँ देकर वातावरण, मन, शरीर और इंद्रियों में संतुलन स्थापित होता है।स्वास्थ्य, ऊर्जा और मानसिक स्फूर्ति
जड़ी-बूटी, गायत्री मंत्र और धुएँ की प्रक्रिया से शरीर और मानसिक चक्र मजबूत बनते हैं ।समाज-एकात्मता एवं सांस्कृतिक पुनरुत्थान
जब परिवार या सम्पूर्ण समुदाय मिलकर यज्ञ करें, तब सामूहिक चेतना और एकता अपने प्रगाढ़तम रूप में पनपती है।शास्त्र-आधारित जीवन शैली
यज्ञ के जरिए व्यक्ति विचार, वातावरण और कर्म तीनों में स्वचालन रखते हुए संतुलित व सशक्त बनता है।
👤 यह पुस्तक किनके लिए उपयुक्त है
गृहस्थ, परिवार, ध्यान-आचरण साधक, जो यज्ञ को आत्मनिर्माण के लिए उपयोग करना चाहते हैं
योग, आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा-प्रेमी, जो यज्ञीय उपचार में विश्वास रखते हैं
समाजकार्यकर्ता और धर्म-गुरु, जो यज्ञ से सामूहिक चेतना जगाना चाहते हैं
आध्यात्मिक चिंतक, जो शास्त्र और विज्ञान से युक्त यज्ञ-दर्शन को आत्मसात करना चाहते हैं
✅ संक्षिप्त निष्कर्ष
“यज्ञ का ज्ञान-विज्ञान” सिर्फ एक धर्मग्रंथ नहीं, बल्कि एक व्यवहार-कुंजी है—जो हमें चरित्र-संस्कृति, स्वास्थ्य, समष्टि-हृदय और युग-निर्माण तक ले जाती है। यह आपके जीवन को वैदिक चेतना और वैज्ञानिक समझ से परभाषित करता है— और चरित्र को यज्ञीय दृष्टि से सशक्त बनाता है।
📚 यदि आप “यज्ञ मात्र अनुष्ठान नहीं, जीवन-व्यवहार हो”, ऐसा दीपक जलाना चाहते हैं—तो यह पुस्तक आपके लिए एक प्रिय साथी सिद्ध होगी। इसे अपनी संग्रह में शामिल करें और यज्ञीय जीवन दृष्टि को आत्मसात करें!
Brand: Yug Nirman Yojna Trust |
Author: Pandit Sriram Sharma Acharya |
Language: Hindi |