Vigyan Aur Adhyatm Paraspar Poorak (Science and spirituality complement each other)
🎯 पुस्तक का उद्देश्य एवं सारांश
“विज्ञान और अध्यात्म – परस्पर पूरक” इस मूल विचार को स्पष्ट करती है कि दोनों ज्ञान की धाराएँ कभी विरोधी नहीं होतीं, बल्कि एक-दूसरे को संतुलित और समृद्ध करती हैं। पं॰ श्रीराम शर्मा आचार्य ने उल्लेख किया कि आधुनिक जीवन में भौतिक विज्ञान और आध्यात्मिक चेतना एक साथ तब जाकर सफल हो सकती हैं जब हम इन्हें स्पष्ट समझ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़ें ।
यह ग्रंथ उन मिथकों और धारणाओं को दूर करता है जो विज्ञान और धर्म को अलग या विरोधी बताते हैं, और दिखाता है कि कैसे दोनों के बीच सेतु बनाकर मानव जीवन को उन्नत किया जा सकता है — चाहे स्वास्थ्य, मानसिक शांति, नैतिक निर्णय या युग-निर्माण की बात हो।
🌟 प्रमुख विषय-वस्तु
1. विवेक की पुनर्निर्माण प्रक्रिया
पुरानी धारणा है कि विज्ञान तथ्यों और सिद्धांतों पर आधारित होता है, जबकि अध्यात्म केवल आस्था और अनुभव पर। ग्रंथ में यह दिखाया गया है कि वैज्ञानिक मापन व अनुभव, मानसिक संतुलन तथा आध्यात्मिक चेतना सभी आवश्यक हैं, और ये अकेले अकेले उपयोगी नहीं—बल्कि एक साथ होने पर जीवन संपूर्ण बनता है ।
2. तीन युग—तीन दृष्टिकोण
लेखक बताते हैं कि ज्ञान-पीढ़ी की जरूरत: पहले युग में आस्था, दूसरे में अनुभव, और आधुनिक युग में विज्ञान-साक्ष्यता। इस खंड में साहित्य, अनुभव और प्रयोग का सामंजस्य समझाया गया है।
3. मानव जीवन में संतुलन सूत्र
यह ग्रंथ जीवन में स्वास्थ्य (द्रव्य विज्ञान) और चेतना (आध्यात्मिक विज्ञान) को संतुलित बनाए रखने के उपाय बताता है। जिसमें ध्यान-योग, प्रणायाम, सेवा, तर्क-स्वाध्याय, संतुलन और समय प्रबंधन का विवरण है।
4. मिथक-खण्डन और वैज्ञानिक पुनरावलोकन
पुस्तक विविध धार्मिक मान्यताओं और धार्मिक कथाओं को आधुनिक वैज्ञानिक-समीक्षा से परखती है, जिससे व्यक्ति अपनी आस्था को मजबूत और चरित्र को विवेकशील बनाना सीखता है।
5. युग निर्माण की ग्लोबल नीति
लेखक बताते हैं कि यदि प्रत्येक व्यक्ति स्व-निर्मित आध्यात्म और विज्ञान में सशक्त हो, तो संपूर्ण समाज—जिसे वह 'युग' कहता है—निर्माण के मार्ग पर अग्रसर हो सकता है।
🌱 पाठक के लिए प्रमुख लाभ
विचार-विमर्श क्षमता में वृद्धि—विज्ञान-मिथक दोहरावों से बचकर, तार्किक थोड़े होते हैं।
चरित्र तथा मानसिक संतुलन—स्वयं-जागरूकता, आत्म-नियंत्रण और सार्थक मानसिकता मिलती है।
आध्यात्मिकता को विवेक से जोड़ना—आस्था पर वैज्ञानिक-तर्क आधारित दृष्टिकोण मिलता है।
स्वास्थ्य, सेवा और ध्यान में सुधार—तर्क और साधना के माध्यम से व्यक्तित्व-उन्नति संभव होती है।
समाज एवं राष्ट्र विकास—करुणा-दृष्टि, विज्ञान-चेतना और चरित्र-बल से राष्ट्र निर्माण में योगदायिता आएगी।
👥 यह पुस्तक किनके लिए उपयुक्त है?
युवा, विद्यार्थी, चिंतक—जो विज्ञान-संयोगैज्ञानिक आध्यात्मिकता को अपना जीवन पथ बनाना चाहते हैं
स्वास्थ्य जागरूक व्यक्ति और योग-प्रशिक्षक—जो तर्क और अनुभव को संतुलित बनाना चाहते हैं
आध्यात्मिक गुरू, प्रेरक वक्ता और समाजसेवी—जो समाज को विवेक, चरित्र और चेतना से जोड़ना चाहते हैं
निर्णयकर्ता—जो जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ चरित्र-बल, नैतिकता और सेवा भावना लाना चाहते हैं
✅ संक्षिप्त निष्कर्ष
“विज्ञान और अध्यात्म – परस्पर पूरक” केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि वैचारिक पुनरुत्थान की कार्यशाला है। इसमें विज्ञान और धर्म के बीच संतुलन-सेतु बनाया गया है ताकि मानव जीवन का प्रत्येक पहलू—स्वास्थ्य, चेतना, चरित्र और राष्ट्रीय निर्माण—तार्किक और आध्यात्मिक दृष्टि से सुस्थित हो।
📚 यदि आप जीवन में स्पष्टता, स्वास्थ्य, विश्वास व चेतना के बीच संतुलन चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए एक सशक्त मंच बनेगी। इसे अपने संग्रह में शामिल करें और 'विज्ञान-संस्कार' की दिव्यता को आत्मसात करें।
Brand: Yug Nirman Yojna Trust |
Author: Pandit Sriram Sharma Acharya |
Language: Hindi |