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Ishewar Kaun Hai ? Kaha Hai ? Kaisa Hai ?

🎯 मुख्य उद्देश्य

यह पुस्तक एक गहन वैचारिक भूमिका में है, जो न केवल उच्चकोटि के प्रश्न उठाती है—जैसे कि “ईश्वर का अस्तित्व क्या, वह कहाँ रहते हैं, और कैसे हैं?”—बल्कि उन प्रश्नों का तर्कपूर्ण, वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से उत्तर भी प्रदान करती है।

लेखक का उद्देश्य है: अज्ञानता और संशय के भ्रम को सैद्धांतिक रूप से समाप्त करना और जीवन के प्रत्येक अन्त:करण को आत्मबल, विवेक और चेतना से जोड़ना।

🧭 मुख्य विचार-वस्तु

1. प्रश्न का उद्भव

  • प्रकृति और सृष्टि की चमत्कारिक विविधता ने मनुष्यों को सदैव आश्चर्य में डाल रखा है। यही आश्चर्य "यही कोई समर्थ सत्ता ज़रूर होगी—ईश्वर" की धारणा को जन्म देता है ।

2. आस्तिक और नास्तिक दोनों के तर्क

  • नास्तिक विज्ञान की कसौटी पर आधारित होते हुए भी उत्तर न पाता, क्योंकि जीवन के अनेक पहलू—मूल्य, धर्म, सेवा—की व्याख्या केवल वैज्ञानिक प्रमाण से संभव नहीं ।

  • पुस्तक स्पष्ट करना चाहती है कि ईश्वर के अस्तित्व को आत्मानुभव, विज्ञान और दर्शन से समझा और स्वीकारा जा सकता है।

3. विश्वास ही विकास का आधार

  • किताब यह समझाती है कि मानव विश्वास के आधार पर ही नैतिकता, सामाजिक व्यवस्था और विश्व–शांति स्थापित होती हैं।

  • गणितीय उदाहरण द्वारा दिखाया गया है कि निर्बाध विश्वास ही संभव चीज़ो को संभव बनाता है awgp.org+10awgp.org+10acharyaprashant.org+10

4. ईश्वर की उपस्थिति

  • ईश्वर को कभी “निर्गुण, निराकार” तत्‍व से जोड़ा गया है, तो वे प्रकट रूपों—ब्रह्मा, विष्णु, महेश, देवी‑देवताओं—में भी प्रकट होते हैं, जो प्रकृति‑शक्तियों के प्रतीक हैं acharyaprashant.org

5. आध्यात्मिक तत्त्व–ज्ञान

  • “आत्मा = परमात्मा” मार्गदर्शित, लेखक बताते हैं कि सच‑ज्ञान प्राप्ति ही ईश्वर दर्शन है।

  • धर्म, विज्ञान और दर्शन के सम्मिश्रण से पुस्तक ईश्वर के ज्ञान को आत्मा‑साक्षात्कार तक ले जाती है ।

6. जीव और परम जीव का संबंध

  • प्रत्येक जीव परम चेतना का हिस्सा है—‘जिवो ब्रह्मैव नापरः,’ अंतर्ध्यान के द्वारा ब्रह्मानुभव संभव है।

  • जिसके लिए वेदांत, उपनिषद और आत्म‑चिंतन की भूमिका महत्वपूर्ण है ttvchrcha.blogspot.com+1awgp.org+1

🌿 पुस्तक से मिलने वाले लाभ

  • सुधारित विश्वास और आत्मबल: विज्ञान और दर्शन को मिलाकर जीने और सोचने की शक्ति बढ़ेगी।

  • संवादपूर्ण जीवन दृष्टि: न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक, व्यक्तिगत और अस्तित्वगत सवालों का समाधान मिलेगा।

  • धर्म-विज्ञान-संस्कृति की समझ: वो ज्ञान जो अंधविश्वास न बनकर विचार की स्पष्टता प्रदान करता है।

  • आधुनिक युग में आस्तिकता का तर्क: धर्म और अभ्यास को सुबोध तरीके से आत्मसात करने का मार्गदर्शन मिलेगा।

👤 यह पुस्तक किनके लिए उपयोगी है

  • युवा विचारक व छात्र जो धर्म और विज्ञान में तर्क की खोज में हैं

  • दर्शन-शास्त्र, धर्मशास्त्र और आत्मिक चिंतक

  • शिक्षक, समाज‑प्रवर्तक व परिवारगण जो आस्था और विचारशक्ति का संतुलन चाहते हैं

  • आध्यात्मिक साधक व बहुआयामी ग्रंथमिश्रक जो विश्वास के साथ विवेक मार्ग जाना चाहते हैं

संक्षिप्त सारांश

विशेषताविवरण
पुस्तकईश्वर कौन है? कहाँ है? कैसा है?
लेखकब्राह्मवर्चस (पं. श्रीराम शर्मा आचार्य)
पृष्ठलगभग 630
फ़ायदेविश्वास, आत्मबल, तर्कयुक्त धर्म, आत्म-साक्षात्कार

📚 “ईश्वर कौन है? कहाँ है? कैसा है?” एक उत्कृष्ट पुस्तक है जो केवल धार्मिकता नहीं सिखाती बल्कि विज्ञान और दर्शन के मेल से ईश्वर की सजीव अनुभूति का मार्ग खोलती है। यदि आप जीवन में विश्वास के साथ साथ विवेक और आत्मज्ञान की यात्रा करना चाहते हैं—तो यह पुस्तक आपके पुस्तक-श्रेणी में अवश्य होनी चाहिए।




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Brand: Yug Nirman Yojna Trust
Author: Pandit Sriram Sharma Acharya
Language: Hindi


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